फिल्म सूर्यवंशी के यह 4 सीन देख कर आंखों से बहने लगेंगे आंसू

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ब्यूरो रिपोर्ट

रोहित शेट्टी की फिल्म सूर्यवंशी ने सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. यह फिल्म जबरदस्त तरीके से हिट हो रही है. फिल्म में रोहित ने रोमांस, मसाला, एक्शन से हटकर कुछ नया करने का प्रयास किया है और वो इसमें काफी हद तक कामयाब भी हुए है. फिल्म में एक-एक सीन ऐसा है जो आपके मन में एक टीश पैदा कर सकता है. डायरेक्टर ने वाकई छोटे-छोटे सीन्स की बारीकियों से जान डाल दी है.

फिल्म की शुरुआत में सूर्या (अक्षय कुमार) के माता-पिता को मार्केट से घर आते दिखाया जाता है, वो काफी खुश है क्योंकि उनका बेटा महीनों बाद वापस आ रहा है. आस-पास बहुत भीड़ तभी ध’मा’का होता है और सब राख हो जाता है. यह सीन अंदर तक झकझोर कर रख देता है. इसी के बाद एक डायलॉग आता है कि अगर आंख के बदले आंख ली जाए तो पूरी दुनिया अंधा हो जाएगी.

एक सीन में दिखाया जाता है कि सूर्या की टीम में अब्बास (अमृत सिंह) शामिल हुए है, जिनके पिता नईम खान (राजेंद्र गुप्ता) एटीएस में तीन दशक तक ईमानदारी से सेवा दी थी. सूर्या धार्मिक नेता उस्मानी यानी गुलशन ग्रोवर से पूछताछ करता है.तब उस्मानी सूर्या से कहता है कि मुझे आसानी से गिरफ्तार नहीं कर सकते, मैं जानता हूँ कि देश में मुसलमानों का क्या हाल है. तभी सूर्या ईमानदार पिता और वर्तमान पुत्र की जोड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहते है कि देश के असली मुसलमान यह है.

तभी रिटायर हो चुके पुलिस इंस्पेक्टर उस्मानी से कहते है कि तू तो चोर था, मैंने ही तुझे गिरफ्तार किया था. तू कबसे धर्म का ठिकेदार बनकर बैठ गया, यह सीन दिखाता है कि अपराधी की कोई जाति-धर्म नहीं होता.

मां की कब्र पर फातिहा पढ़ता नजर आता बिलाल जी हां बिलाल (कुमुद मिश्रा) के घर में मुंबई दंगों के दौरान आग लग जाती है, वह ब्लास्ट करके बदला लेता है. पुलिस उसे पकड़ लेती है तब वो कहता है कि उसे उसकी मां की क’ब्र के पास दफनाया जाए.सूर्या बोलता है कि उसकी मां की मौ’त पर भीड़ थी क्योंकि उन्होंने बिलाल को नहीं बल्कि देश को चुना था. बिलाल खुद को खत्म कर लेता है लेकिन पुलिस वाले उसकी विनति का सम्मान करते है.

फिल्म में एक सीन है यहां चौक पर एक तरफ मस्जिद और एक मंदिर स्थित है, तभी इलाके में खबर मिलती है यहां बम होने की आशंका है. पुजारी यह ख़बर सुनकर मंदिर से भगवान गणेश जी की मूर्ति को उठा कर सुरक्षित स्थान पर ले जाने लगते है.तभी मस्जिद से बाहर निकल रहे लोग देखते है कि मूर्ति पुजारी अकेले नहीं उठा पाते है तो वो लोग उनकी मदद के लिए आगे बढ़ते है और मंदिर के बाहर चप्पल उतार कर गणेश जी की मूर्ति को उठाने में मदद करने लगते है. कुछ लोग थोड़ी ही देर में ठेला ले लाते है और भगवान गणेश जी की प्रतिमा को हिंदू-मुस्लिम मिलकर सुरक्षित स्थान पर ले जाते हैं.इस दौरान बैकग्राउंड में ‘छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी… चलने लगता है जो रोंगटे खड़े कर देता है. यह गाना और सीन इतनी खूबसूरती से तैयार किया गया है कि इसे देखने के बाद हर कोई कुछ देर के लिए चुप हो जाएगा.

फिल्म में हमें एक्शन, रोमांस, तीन बड़े एक्टर्स, कैटरीना कैफ देखने को मिलते है. लेकिन यह एक मात्र सीन्स फिल्म के सभी सब को फीफा कर देता है. इस दृश्य में आप खो जाएंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप कब एक बच्चे की तरह रोने लगे. हमारी नसों में देशप्रेम दौड़ रहा है, जो हमारे लिए सबसे ज्यादा बढ़कर है.

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