कुतुबमीनार से भी दोगुना ऊंचा है गोरखपुर के खाद कारखाने का टॉवर

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोरखपुर (Gorakhpur) जिले में अब एक और नया कीर्तिमान दर्ज हो रहा है. जहां हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के इस खाद कारखाने (Fertilizer Factory) के प्रिलिंग टॉवर की ऊंचाई कुतुब मीनार की ऊंचाई से दोगुनी से भी अधिक है. यह विश्व में किसी भी खाद कारखाने का सबसे ऊंचा प्रिलिंग टॉवर है. वहीं, 8 हजार करोड़ से ज्यादा की लागत वाला यह कारखाना प्राकृतिक गैस से संचालित होगा, जिससे वातावरण के प्रदूषित होने का खतरा नहीं है. हालांकि आज पीएम मोदी कारखाने का लोकार्पण करेंगे. इसके साथ ही गोरखपुर खाद कारखाना रोज 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्‍पादन करने लगेगा. प्रतिदिन लगभग 3850 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन होगा. इससे पहले कारखाने का सफल ट्रायल हो चुका है.

दरअसल, रसायन विशेषज्ञों के मुताबिक प्रिलिंग टॉवर की ऊंचाई उर्वरक की गुणवत्ता का पैमाना होती है. ऊंचाई जितनी अधिक होगी, उर्वरक उतनी अच्छी क्वालिटी वाला होगा. पूर्वी उत्तर प्रदेश की जनता की तरफ से खाद कारखाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Afityanath) के संघर्ष से सभी वाकिफ हैं. वहीं, बीते 22 जुलाई 2016 को गोरखपुर में एचयूआरएल के खाद कारखाने का शिलान्यास कर पीएम मोदी ने इस निर्माण को हरी झंडी दिखाई थी.

बता दें कि दुनिया भर में जितने भी यूरिया खाद के कारखाने बने हैं, उनमें गोरखपुर खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर सबसे ऊंचा है. इस टॉवर की 117 मीटर की ऊंचाई से अमोनिया गैस का लिक्विड गिराया जाएगा. अमोनिया के लिक्विड और हवा के रिएक्शन से नीम कोटेड यूरिया बनेगी. इस दौराव एचयूआरएल के अधिकारियों के मुताबिक करीब 600 एकड़ में बने इस कारखाने पर 8603 करोड़ की लागत आई है. यह देश का सबसे बड़ा यूरिया प्लांट है. साथ ही इस प्रीलिंग टॉवर की ऊंचाई देश की फर्टिलाइजर कंपनियों में सबसे ज्यादा है. वहीं, गोरखपुर से पहले सबसे ऊंचा टॉवर कोटा के चंबल फर्टिलाइजर प्लांट का था. जो कि लगभग 142 मीटर ऊंचा है. ऐसे में सिंदरी, बरौनी, पालचर और रामगुंडम में यूरिया प्लांट का निर्माण किया जा रहा है.

गौरतलब है कि एचयूआरएल के अधिकारियों के मुताबिक गेल द्वारा बिछाई गई पाइप लाइन से आने वाली नेचुरल गैस और नाइट्रोजन के रिएक्शन से अमोनिया का लिक्विड तैयार किया जाएगा. वहीं, अमोनिया के इस लिक्विड को प्रीलिंग टॉवर की 117 मीटर ऊंचाई से गिराया जाएगा. इसके लिए ऑटोमेटिक सिस्टम तैयार किया जा रहा है. अमोनिया लिक्विड और हवा में मौजूद नाइट्रोजन के रिएक्शन से यूरिया छोटे-छोटे दाने के रूप में टॉवर के बेसमेंट में कई होल के रास्ते बाहर आएगा. यहां से यूरिया के दाने ऑटोमेटिक सिस्टम से नीम का लेप चढ़ाए जाने वाले चैंबर तक जाएंगे. नीम कोटिंग होने के बाद तैयार यूरिया की बोरे में पैकिंग होगी.

इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन से 10 मेगावाट बिजली को लेकर करार किया गया है. फिलहाल एचयूआरएल को बिजली की जरूरत नहीं है. ऐसे में इस प्लांट को चलाने के लिए जितनी बिजली की आवश्यकता है, उससे अधिक उत्पादन खुद एचयूआरएल कर लेगा. उन्होंने कहा कि सबसे ऊंचे प्रिलिंग टॉवर से बेस्ट क्वालिटी की यूरिया का उत्पादन खाद कारखाने में होगा. उनके अनुसार प्रीलिंग टॉवर की ऊंचाई जितनी ज्यादा होती है, यूरिया के दाने उतने छोटे और गुणवत्तायुक्त बनते हैं. यहां का प्‍लांट प्राक्रतिक गैस आधारित है, इसमें हर साल 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा.

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