सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ फिर से सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं 600 परिवार, जानिए बड़ी वजह

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नोएडा. सुपरटेक बिल्डर (Supertech Builder) की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सुप्रीम कोर्ट पहले ही बिल्डर के एमराल्ड योजना के तहत बने ट्वीन टावर को तोड़े जाने का आदेश कर चुका है. उसी मामले में अब 600 से ज्यादा परिवार एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाने की तैयारी कर रहे हैं. इसमे वो परिवार भी शामिल हैं जो ट्वीन टावर के पास वाले टावर में रह रहे हैं. ट्वीन टावर गिराए जाने के दौरान उन्हें अपने टावर को भी नुकसान पहुंचने का खतरा महसूस हो रहा है. वहीं तय वक्त में भी ट्वीन टावर (Twin Tower) टूटते न देख पीड़ित फ्लैट खरीदार भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं.

ट्वीन टावर पीड़ित परिवार और उसके बराबर में बने टावर में रहने वाले परिवारों ने नोएडा अथॉरिटी पर गुमराह करने के आरोप लगाए हैं. पास के ही टावर में रहने वाले परिवारों का कहना है कि ट्वीन टावर तोड़े जाने के दौरान हमारे टावर को भी नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे में हमने अथॉरिटी से टावर तोड़े जाने का प्लान मांगा और यह आश्वासन भी चाह कि हमारे टावर को कोई नुकसान न पहुंचे तो अभी तक अथॉरिटी ने कोई जवाब नहीं दिया है. वहीं दूसरे पीड़ित परिवारों का कहना है कि टावर कब तोड़े जाएंगे और अभी तक टावर क्यों नहीं गिराए गए हैं, लिखित में पूछने के बाद भी नोएडा अथॉरिटी इसका कोई जवाब नहीं दे रही है.

नोएडा अथॉरिटी ट्विन टावर मामले में किसी तरह का अतिरिक्त समय बिल्डर को नहीं देने का प्लान पहले ही तैयार कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक बिल्डर की ओर से अब तक किए गए कार्यों की जानकारी देने के बाद भी अथॉरिटी खुश नहीं है. करीब दो माह में ट्विन टावर गिराने के मामले में अब तक कोई स्पष्ट राय नहीं बन पाई है. अथॉरिटी की ओर से इस मामले में कई बार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कार्ययोजना पेश नहीं हुई.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नोएडा अथॉरिटी, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), सुपरटेक के अलावा तीन एजेंसियां और सलाहकार टीम दिन-रात इस पर काम कर रहे हैं कि ट्विन टावर को किस तकनीक की मदद से गिराया जाए. लेकिन अब तक टावर गिराने की किसी भी एक तकनीक पर अमल करने का प्रस्ताव तैयार नहीं हुआ है. टीम का कहना है कि अगर ब्लास्ट तकनीक से ट्वीन टावर गिराया जाता है तो आसपास की इमारतों को खतरा होगा. इसमें सबसे नजदीकी छह इमारतें 33 मीटर के दायरे में हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा होने की आशंका जताई जा रही है.

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