101 बिल्डरों के खिलाफ 1705 आरसी, 503 करोड़ रुपये की वसूली के लिए मुनादी

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ग्रेटर नोएडा: गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने रेरा के बकाये की वसूली के लिए बकाएदार बिल्डरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया हैं। उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) के आदेशों का पालन नहीं करने पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 101 बिल्डर कंपनियों के खिलाफ 1705 आरसी रेरा ने जिला प्रशासन के पास भेज रखी हैं। इनसे 503 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है। जिला प्रशासन वर्ष 2021 में 32 बिल्डरों की 315 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त कर चुका है। जिला प्रशासन की 40 टीमों ने बिल्डर कंपनियों के दफ्तरों से लेकर घरों तक जाकर मुनादी करना शुरू कर दिया। उनके घर और दफ्तर के बाहर आरसी के नोटिस चस्पा किए जा रहे हैं। जो मुनादी के बाद भी रिस्पांस नहीं करेंगे, जिला प्रशासन उनकी संपत्ति सील करेगा, जब्त करने की कार्रवाई करेगा और जेल भी भेजेगा। इनमें तमाम बिल्डर कंपनियों के मालिकों के दफ्तर दिल्ली, फरीदाबाद, गुड़गांव, गाजियाबाद या अन्य जिलों में है। वहां जाकर भी टीमें कार्रवाई करेंगी।

गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने बताया कि 101 बिल्डर कंपनियों में तहसील दादरी के अंतर्गत 73 बिल्डर कंपनियां आती हैं। इनमें कई बड़े बिल्डर ग्रुपों की कंपनियां हैं। वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड से 80.55 करोड़ की आरसी वसूली जानी है। लॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्च र प्रा. लि. से 34.57 करोड़, सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लि.से 33.56 करोड़, महागुन इंडिया प्रा. लि. से 19.97 करोड़, पाश्र्वनाथ डेवलपर्स लि. से 13.39 करोड़, इसके अलावा भी कई बड़े ग्रुपों की कंपनियां इनमें शामिल हैं, जिनसे वसूली होगी। एसडीएम सदर को अपनी टीम के साथ 28 बिल्डर कंपनियों से आरसी का पैसा वसूलना है। इनमें ग्रीनवे आरिस इंफ्रा से 17.63 करोड़ की वसूली का जानी है। इम्पीरिया स्ट्रक्च र लि. से 9.41 करोड़ की वसूली की जानी है। पाश्र्वनाथ डेवलपर्स लि. से 4.99 करोड़, न्यू टैंक प्रमोटर्स से 3.79 करोड़ व बाकी सब इससे कम की राशि वसूली जानी है।

जिला प्रशासन ने इस तरह आरसी वसूलने के लिए पहले भी बिल्डरों पर कार्रवाई की है। वर्ष 2021 में 32 बिल्डरों की 315 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त कर चुका है. अब जिला प्रशासन ने बड़े स्तर पर वसूली के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया है। आज से ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है। प्रशासन का लक्ष्य है कि अगले एक दो महीने में इन 503 करोड़ में से ज्यादा से ज्यादा रकम बिल्डरों से वसूला जा सके।

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