नई दिल्ली: जहां एक तरफ संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने किसानों के साथ बातचीत के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को एक बड़ी जीत बताया है और अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के चिकित्सा सहायता लेने के फैसले का स्वागत किया है। वहीं आगे की रणनीती का लिए SKM की आम सभा की बैठक आज यानी 24 जनवरी को नयी दिल्ली में होने जा रही है।
हालांकि पंजाब के कुछ बड़े किसान नेताओं ने केंद्र की ओर से दिए गए निमंत्रण पर अलग रिएक्ट किया है। उन्होंने कहा कि, देखा जाए तो यह हमारे लिए कोई बड़ी जीत नहीं है, लेकिन हम बंद दरवाजा खुलवाने में सफल रहे। उन्होंने आगे कहा कि, अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आखिर तक मेडिकल सहायता लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अब केंद्र से बातचीत के लिए बुलाने पर किसान नेता उनसे अनुरोध करते रहे, तो डल्लेवाल भी मान गए। उन्होंने कहा कि जो आपको ठीक लगे, वही करें।
किसानों का विरोध प्रदर्शन
जानकारी दें कि, तीन निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले इस साझा मंच ने कहा कि किसानों की बढ़ती एकता के कारण सरकार चर्चा करने के लिए मजबूर हुई। बयान के मुताबिक, ‘‘SKM अनशन कर रहे किसान नेता सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल के चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के निर्णय का स्वागत करता है और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है।”
इसमें कहा गया था कि, ‘‘SKM नेताओं द्वारा किसान एकता और किसान विरोधी सरकार के खिलाफ अखिल भारतीय आंदोलन के लिए किए गए निरंतर प्रयासों ने सरकार को अपनी विभाजनकारी रणनीति से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया है।”
SKM ने सभी किसानों से केंद्र सरकार के खिलाफ ‘‘जवाब देने और विरोध में खड़े होने” तथा उसे ‘‘अपनी किसान विरोधी नीतियों को वापस लेने” के लिए मजबूर करने का आह्वान किया। उसने कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा (NPFAM) को निरस्त कृषि कानूनों को वापस लाने का एक प्रयास करार दिया।
26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली!
SKM ने इस बाबत अपनी सभी इकाइयों से सोमवार को सांसद कार्यालयों पर किसान धरना आयोजित करने के बजाय ईमेल के माध्यम से सांसदों को ज्ञापन भेजने का आह्वान किया था और 26 जनवरी को समूह की ट्रैक्टर रैलियों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था।
बयान के मुताबिक, किसान संगठनों के साझा मंच ने कहा था कि, ‘‘SKM एक बार फिर केंद्र सरकार से आह्वान करता है और चेतावनी देता है कि वह देश के अन्नदाताओं, किसानों के हितों के खिलाफ काम करने से बाज आए। SKM सरकार को स्पष्ट रूप से सूचित और घोषणा करता है कि इस देश के किसान अपनी मांगों को लेकर एकजुट हैं, जिन्हें केंद्र सरकार को पूरा करना होगा और तब तक केंद्र सरकार के खिलाफ सभी रूपों में लोकतांत्रिक आंदोलन जारी रहेंगे।”