राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा, सदन स्थगित, लखीमपुर खीरी हिंसा पर लोकसभा में हंगामे के आसार

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लोकसभा में आज लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर हंगामा हो सकता है. लखीमपुर खीरी कांड को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, हम मांग करेंगे कि सरकार गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करे. साथ ही उन्होंने बताया कि राहुल गांधी आज इस विषय पर सदन में बात रखने की कोशिश करेंगे. टीएमसी के राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने भी रूल 267 के तहत लखीमपुर खीरी मामले पर चर्चा की मांग की है. यानी आज विपक्ष लखीमपुर खीरी मामले पर सदन में हंगामा कर सकता है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार को लोकतंत्र में चर्चा और असहमति के संदर्भ में ट्यूशन लेने की जरूरत है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘लोकतंत्र में बहस व असहमति का महत्व-इस विषय पर मोदी सरकार को ट्यूशन की ज़रूरत है.’राहुल गांधी ने राज्यसभा के 12 निलंबित सदस्यों के समर्थन में निकाले जाने वाले मार्च में शामिल होने से पहले सरकार पर यह आरोप लगाया. गत मॉनसून सत्र में ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए पिछले 29 नवंबर को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था. निलंबन के बाद से ये सांसद संसद की कार्यवाही के दौरान प्रतिदिन सुबह से शाम तक संसद परिसर में धरना दे रहे हैं.

टीएमसी, कांग्रेस, सीपीआईएम के बाद अब शिवसेना और यूनियन मुस्लिम लीग ने भी राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दिया है. ये प्रस्ताव उनके सदन में भाग लेने को लेकर की गई टिप्पणी के खिलाफ किया गया है.

जस्टिस रंजन गोगोई ने एक इंटरव्यू के दौरान राज्यसभा में उनकी बेहद कम उपस्थिति को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा था, ‘मुझे जब मन होगा तब मैं राज्यसभा जाऊंगा. मैं मनोनित सदस्य हूं और कोई पार्टी मुझे राज्यसभा जाने के लिए विवश नहीं कर सकती.’

विपक्षी पार्टियों ने गोगोई के इस बयान को सदन की अवमानना बताया और नोटिस जारी करते हुए कहा कि यह बयान सदन की प्रतिष्ठा के महत्व को कम करता है. विपक्ष ने कहा, उन पर विशेषाधिकारों के हनन का मामला भी बनता है. गोगोई ने कहा था, ‘मैं मनोनित सदस्य हूं, मैं किसी पार्टी व्हिप से बंधा हुआ नहीं हूं. ऐसे में व्हिप मुझ पर लागू नहीं होते. कोई भी राजनीतिक दल मुझे सदन आने के लिए मजबूर नहीं कर सकती.’

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