AIR INDIA NEW CHAIRMAN : कौन है एयर इंडिया के नए चेयरमैन?

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AIR INDIA NEW CHAIRMAN : एन चंद्रशेखरन-एयर इंडिया के नए चेयरमैन, टाटा संस ने किया भारी ऐलान

पिछले कुछ समय से एयर इंडिया के सीईओ के लिए जद्दोजहद चल रही थी. वही नई खबर ये है की टाटा संस (Tata Sons) के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) को सोमवार को आधिकारिक तौर पर एयर इंडिया (Air India) का चैयरमैन नियुक्त किया गया।
पिछले महीने, चंद्रशेखरन को टाटा संस के चेयरमैन के तौर पर दोबारा नियुक्त किया गया था. उनका दूसरा कार्यकाल पांच साल का रहेगा, चंद्रशेखरन टाटा ग्रुप में काफी वर्षो से हैं. वे 2017 में टाटा संस के चेयरमैन के तौर पर नियुक्ति से पहले, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के एमडी और सीईओ रह चुके हैं.

टाटा संस ने 14 फरवरी को तुर्की की एयरलाइन के पूर्व चेयरमैन इल्केर आयजू को एयर इंडिया का CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त करने का एलान किया था.. लेकिन इसी बीच, आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयजू की नियुक्ति का विरोध किए जाने के बाद इस पर विवाद खड़ा हो गया. ऐसे माहौल में आयजू ने टाटा समूह के ऑफर को ठुकरा दिया. आयजू को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का करीबी माना जाना है.

69 साल बाद जनवरी में एयर इंडिया फिर 27 जनवरी 2022 को एयर इंडिया, टाटा ग्रुप का हिस्सा बनी। पिछले साल 18,000 करोड़ रुपये में एयर इंडिया को बेच दिया गया था। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन कहते हैं, ‘हम एयर इंडिया को टाटा समूह में वापस लाकर काफी उत्साहित हैं और इसे वैश्विक स्तर की एयरलाइन बनाने को पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। मुझे विश्वास है कि एयर इंडिया का स्वर्णिम युग आने वाला है। एयर इंडिया का स्वर्णिम युग लाने की हमारी यात्रा अब शुरू होती है। स्वागत है, घर वापसी का स्वागत है।’ दिलचस्प है कि उन्हीं की कोशिशों के चलते एयर इंडिया एक बार फिर से टाटा की हो गई।

एन चंद्रशेखरन का जीवन किस्सा

एन चंद्रशेखर का पूरा नाम नटराजन चंद्रशेखरन है। उनका जन्म तमिलनाडु के मोहानूर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. वे छह बच्चों में से एक थे. चंद्रशेखरन के पिता एक वकील थे, लेकिन उनके दादा की मौत के बाद उनके पिता को परिवार का खेत देखना पड़ा, जिसमें केला, चावल और गन्ना उगाया जाता था. चंद्रशेखरन के पिता मेहनत की ताकत में विश्वास रखते थे और उन्होंने अपने बच्चों को यही सिखाया.

जब चंद्रशेखरन बच्चे थे, तो वे और उनके भाई रोजाना तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने तमिल मीडियम के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते थे. अपनी सीनियर सेकेंडरी की परीक्षा के लिए, उन्होंने अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में दाखिला ले लिया. 10वीं कक्षा को पास करने के बाद, वे आगे पढ़ाई के लिए Trichy चले गए. उन्होंने बाद में एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उनके घर और परिवार से दूर रहने का अनुभव उनके लिए एक बड़ा बदलाव था.

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रिपोर्ट- कोमल कशिश

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