नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) 22 सीटों पर सिमट गई जबकि बीजेपी (BJP) को 48 सीटें मिली और कांग्रेस (Congress) का खाता तक नही खुला. इसका असर अब दिल्ली नगर निगम में भी देखने को मिल रहा है. एमसीडी (MCD) में भले ही आम आदमी पार्टी का शासन है लेकिन बदले मौजूदा सियासी समीकरणों में सत्ता पक्ष AAP का नंबर कम हो गया है. वहीं विपक्ष में बैठी बीजेपी के नंबर अधिक हो गए हैं.
इस को आप ऐसे समझ सकते हैं कि बीजेपी के 8 पार्षद जीतकर विधायक बन गए. AAP के तीन पार्षदों ने भी जीत हासिल की है. MCD के 250 सदस्यी सदन में आप के 117 और बीजेपी के 112 पार्षद हैं. कांग्रेस के 7 पार्षद हैं. यानि आप बीजेपी के बीच सिर्फ 5 पार्षद का अंतर है तो वहीं विपक्षी कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों को मिला दें तो 119 सदस्य हो जाते हैं. तो सत्ता पक्ष के लाए बजट के प्रस्ताव पास होंगे या नही इसकी चाबी विपक्ष के पास है. विधानसभा चुनाव में एक दूसरे पर हमलावर कांग्रेस का रूख क्या होगा इस पर दिल्ली यूनिट चुप है.
ढ़ाई साल से एमसीडी की सबसे पावरफुल कमिटी नहीं बन पाई है. मामला कोर्ट में विचाराधीन है. एलजी की स्पेशल परमिशन के बाद एमसीडी के कमिश्नर अश्विनी कुमार सदन के समक्ष बजट पेश करेंगे. सदन से मंजूरी के बाद हर हाल में 31 फरवरी तक बजट पारित कर दिया जाता है.
निगम सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि 2025-26 का अनुमानित बजट करीब 17,000 करोड़ रूपए का है. नियमों के मुताबिक हर साल एमसीडी कमिश्नर दिसंबर में ही बजट पेश करते हैं लेकिन इस बार स्टैंडिंग कमिटी नही बन पाने की वजह से काफी देर हो गई.
एमसीडी में आप के 117 और बीजेपी के 112 पार्षद हैं. दोनों में सिर्फ 5 का अंतर है. उधर मेयर चुनाव में सांसद और विधायक भी वोटर होते हैं. मेयर चुनाव हुआ तो बीजेपी के 112 पार्षद, 14 मनोनीत विधायक और 7 सांसद वोट करेंगे. आप के 119 पार्षद, 2 सांसद मिलाकर कुल 121 हो रहा है.
यानि बीजेपी के लिए मेयर और डिप्टी मेयर के लिए पर्याप्त संख्या बल है. बीजेपी अप्रेल में होने वाले मेयर चुनाव में बीजेपी के मेयर का दावा पेश कर सकती है. स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन को लेकर हुए चुनाव में बीजेपी को बहुमत है क्योंकि कमिटी में बीजेपी के 10 और आप के 8 मेंबर हैं. चूंकि मामला कोर्ट में लंबित है और कोर्ट बीजेपी के हक में फैसला दे देती है तो बीजेपी के हक में जाएगा.