चैत्र नवरात्र 2024: माँ कालरात्रि को समर्पित है नवरात्र का 7वां दिन

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नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि को समर्पित है। 15 अप्रैल के दिन पूरे विधि-विधान से दुर्गा माता के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा करने से सुख-समृद्धि बनी रहती है साथ ही अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी भी कहा जाता है। ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं इसलिअ इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप काले रंग का है और ये तीन नेत्रधारी हैं। मां कालरात्रि के गले में विद्युत् की अद्भुत माला है। इनके हाथों में खड्ग और कांटा है और गधा इनका वाहन है। मां ने अपने बालों को खुला रखा हुआ है।

मां कालरात्रि की उपासना से लाभ

इनका स्वरूप इतना भयंकर और डरावना है कि बुरी शक्तियां इनको देखते या इनके नाम का जप करते ही दूर हो जाती हैं। इनकी उपासना से भय, दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है और नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता। ज्योतिष में शनि ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अदभुत परिणाम देता है। मां कालरात्रि व्यक्ति के सर्वोच्च चक्र, सहस्त्रार को नियंत्रित करती हैं। यह चक्र व्यक्ति को अत्यंत सात्विक बनाता है और देवत्व तक ले जाता है। इस चक्र पर गुरु का ध्यान किया जाता है।

आइए जानते हैं नवरात्रि के सातवें दिन का पूजा मुहूर्त, माता कालरात्रि की पूजा-विधि, स्वरूप, भोग, प्रिय रंग, पुष्प, महत्व, मंत्र और आरती-

पूजा का मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:26 ए एम से 05:11 ए एम

प्रातः सन्ध्या- 04:48 ए एम से 05:55 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:47 पी एम

विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:21 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- 06:46 पी एम से 07:08 पी एम

सायाह्न सन्ध्या- 06:47 पी एम से 07:54 पी एम

अमृत काल- 12:32 ए एम, अप्रैल 16 से 02:14 ए एम, अप्रैल 16

निशिता मुहूर्त- 11:58 पी एम से 12:43 ए एम, अप्रैल 16

सर्वार्थ सिद्धि योग- 03:05 ए एम, अप्रैल 16 से 05:54 ए एम, अप्रैल 16

मां कालरात्रि का भोग

मां कालरात्रि को गुड़ का भोग प्रिय है। ऐसे में पूजा के समय मां कालरात्रि को गुड़, गुड़ की खीर या गुड़ से बनी चीज का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र

‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।’
शुभ रंग व प्रिय पुष्प

मां कालरात्रि का प्रिय रंग लाल माना जाता है। ऐसे में चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन पूजा के दौरान लाल वस्त्र पहनना शुभ रहेगा। वहीं, माता को लाल रंग के गुड़हल या गुलाब के पुष्प अर्पित करें।
मां कालरात्रि का मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां कालरात्रि के चार हाथ तीन नेत्र हैं। मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं। माता के गले में पड़ी माला बिजली की तरह चमकती है। मां की श्वास से आग निकलती है। एक हाथ में माता ने खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है।
पूजा-विधि

सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें। माता का गंगाजल से अभिषेक करें। मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी, सिंदूर, पीले और लाल पुष्प अर्पित करें। सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं। प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। फिर पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करें। माँ कालरात्रि पूजन महत्व

माता कालरात्रि अपने उपासकों को काल से भी बचाती हैं अर्थात उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इनके नाम के उच्चारण मात्र से ही भूत, प्रेत, राक्षस और सभी नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं। माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं एवं ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली देवी हैं। इनके उपासक को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। सभी व्याधियों और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए माँ कालरात्रि की आराधना विशेष फलदायी होती है।

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