रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने का कार्यकाल अगले साल अक्टूबर तक बढ़ाया गया

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नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने देश के रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने की सेवा में विस्तार को मंजूरी दे दी है। उनका कार्यकाल 31 अक्टूबर 2024 तक या अगले आदेश तक के लिए बढ़ाया गया है। उन्होंने देश के 40वें रक्षा सचिव के रूप में पिछले साल 01 नवंबर को कार्यभार संभाला था। उन्होंने इसी माह बेंगलुरु में एयरो इंडिया के दूसरे दिन संयुक्त अरब अमीरात, म्यांमार, ब्राजील, कंबोडिया, बुल्गारिया और मॉरीशस के रक्षा प्रतिनिधिमंडलों से अलग-अलग मुलाकात करके रक्षा सहयोग के कई मुद्दों पर चर्चा की।

केंद्र सरकार ने पिछले साल 19 अक्टूबर को कई विभागों के सचिवों में फेरबदल किया था। मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरमाने को रक्षा विभाग में स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर के रूप में तैनात किया था। अरमाने ने एक मई, 2020 को सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय में सचिव का पदभार ग्रहण किया था। इससे पहले अरमाने कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर सेवाएं दे रहे थे। वह 2012-14 के दौरान पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं।

अरमाने आंध्र प्रदेश कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने आईआईटी मद्रास से सिविल इंजीनियरिंग में एमटेक किया है और अर्थशास्त्र में परास्नातक भी हैं। देश के रक्षा सचिव अरमाने ने आईआईएम बेंगलुरु, आईआईएफटी नई दिल्ली, टाटा प्रबंधन और प्रशिक्षण संस्थान पुणे के अलावा सिंगापुर और फ्रांस में वित्त और बैंक क्षेत्रों में प्रशिक्षण हासिल किया है। इसके अलावा अरमाने ने आंध्र प्रदेश सरकार में फील्ड और पॉलिसी स्तर के विभिन्न पदों पर भी काम किया है और उन्हें संगठनात्मक और वित्त मामलों में व्यापक अनुभव हासिल है।

आईएएस गिरिधर अरमाने ने पिछले साल 01 नवंबर को डिफेंस सेक्रेटरी डॉ. अजय कुमार के रिटायर होने के बाद उनकी जगह ली थी। वह डिफेंस एक्सपो-2022 के दौरान विशेष कार्य अधिकारी के रूप में रक्षा मंत्रालय में शामिल हुए थे। इस बार बेंगलुरु में हुए 14वें एयरो इंडिया में भी रक्षा सचिव ने सक्रिय रूप से कई विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के साथ वार्ता की। उन्होंने एयरो इंडिया के दूसरे दिन संयुक्त अरब अमीरात, म्यांमार, ब्राजील, कंबोडिया, बुल्गारिया और मॉरीशस के रक्षा प्रतिनिधिमंडलों से अलग-अलग मुलाकात की। सभी देशों के रक्षा अधिकारियों से वार्ताओं में रक्षा सहयोग के कई मुद्दों पर चर्चा हुई और साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई।

 

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