नई दिल्ली : थाईलैंड ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दे दी है. इसको लेकर वहां कानून भी बन गया है. इसके साथ ही थाईलैंड समलैंगिक विवाह को वैध करने वाला दक्षिण पूर्व एशिया का पहला और एशिया का तीसरा देश बन गया है. नेपाल और ताइवान इसको पहले ही मान्यता दे चुके हैं. देश में मैरिज इक्वलिटी एक्ट को कानूनी मान्यता मिल चुकी है. आज से यह कानून देश में लागू हो गया है.
कानून लागू होने के पहले दिन करीब 300 एलजीबीटीक्यू कपल्स के शादी रचाने की उम्मीद है. एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को आज से समलैंगिक शादी करने के लिए लीगल स्टेटस मिल जाएगा. थाईलैंड में करीब 20 सालों से समलैंगिक शादी को वैध करने की मांग उठ रही थी. अब 18 साल या इससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति सेम सेक्स में शादी कर सकता है.
राजधानी बैंकॉक के एक शॉपिंग मॉल में आज यानी गुरुवार को एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया है, जिसमें करीब 300 कपल्स समलैंगिक शादी के लिए अपनी औपचारिकताएं पूरा करेंगे. इसमें पार्टनर को सभी अधिकार दिए गए हैं. मैरिज इक्वलिटी एक्ट को संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया था. संसद ने सिविल और कमर्शियल कोड में संशोधन भी किया.
थाईलैंड की संसद ने कोड में बदलाव करके हसबैंड और वाइफ की जगह इंडिविजुअल और मैरिज पार्टनर कर दिया है. कानून में LGBTQ+ जोड़ों के लिए वो सभी अधिकार दिए हैं, जो एक आम शादी यानी हसबैंड-वाइफ में में होती है. एलजीबीटीक्यू कपल्स के लीगल, फाइनेंशियल और मेडिकल सभी में समान अधिकार रहेगा. संपत्तियों में भी ज्वाइंट एक्सेस रहेगा.
आज फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, अमेरिका समेत दुनिया के 31 देशों के संविधान में सेम सेक्स के बीच शादी लीगल है. वहीं, ऐसे भी कई देश हैं, जहां यह बैन है. यमन, ईरान, ब्रुनेई, नाइजीरिया, कतर समेत दुनिया के 13 देशों में आज भी समलैंगिक शादी करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है. इसके लिए मौत की सजा दी जाती है. भारत में सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था. इसके अलावा कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता तो नहीं मिली है लेकिन इसके अपराध भी नहीं माना गया है, इसमें भारत, चीन, श्रीलंका, ब्रिटेन और रूस शामिल हैं.