कोरोना काल में असम से जमकर हुई मानव तस्करी

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असम (Assam) अतीत में मानव तस्करी (Human traficking) का केंद्र रहा है. कोरोना काल (Corona) में इसकी हालत और खराब हो गई. पिछले दो वर्षों में इसमें और तेजी देखी गई. मई 2020 में कोरोना के कारण पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन लगा था. 15 वर्षीय मीना रे (बदला हुआ नाम) को शादी का झांसा देकर असम के कोकराझार जिले के उसके गांव से तस्करी कर लाया गया और उसे पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर के वेश्यालय में बेच दिया गया. हालांकि, बाल कार्यकर्ताओं और पुलिस की मदद से उसे एक महीने बाद बचाया गया और उसे वापस लाया गया. जांच से पता चला कि असम के बोंगईगांव जिले के एक 35 वर्षीय व्यक्ति, जो पोल्ट्री व्यवसाय में शामिल था, उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रे से दोस्ती की और उसे सिलीगुड़ी ले गया. असम के विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि रे की मानव तस्करी असम के कई मामलों में से एक था, जो पिछले दो वर्षों के दौरान कोरोना महामारी शुरू होने के बाद हुआ था.

एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में राज्य में कुल 177 व्यक्तियों (124 मामलों में) की तस्करी की गई और उसी वर्ष 157 व्यक्तियों को बचाया गया. डेटा से पता चलता है कि अधिकांश पीड़ितों को घरेलू काम (36) के लिए तस्करी की गई. वहीं, इसी साल राज्य से कुल 877 बच्चे लापता हो गए, जबकि पिछले वर्षों में लापता हुए 685 बच्चों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. उसी वर्ष, पुलिस ने 1232 लापता बच्चों को छुड़ाया. 2020 में, असम से कुल 3859 व्यक्तियों (बच्चों सहित) के लापता होने की सूचना मिली थी. यदि पिछले वर्षों के 3437 लापता व्यक्तियों को सूची में जोड़ दिया जाए, तो यह आंकड़ा 7296 हो जाता है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, असम में 2018 में मानव तस्करी के 308 मामले दर्ज किए गए, जो महाराष्ट्र (311) के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है. 2019 में यह संख्या गिरकर 201 हो गई. महाराष्ट्र (282) और आंध्र प्रदेश (245) के बाद तीसरा सबसे अधिक. 2020 में असम में मानव तस्करी के 124 मामले दर्ज किए गए जो महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और राजस्थान के बाद सातवें सबसे अधिक.

कोकराझार स्थित नेदन फाउंडेशन, एक एंटी-ट्रैफिकिंग एनजीओ के अध्यक्ष दिगंबर नारजारी ने कहा, ‘मानव तस्करी, विशेष रूप से बच्चों की तस्करी, 2020 में राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के दौरान जारी रही. हमने उस वर्ष के दौरान कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुरी के सिर्फ चार जिलों में बाल तस्करी के 144 मामले दर्ज किए. पिछले साल, अकेले बीटीआर क्षेत्र के चार जिलों में बाल तस्करी के कुल 156 मामले दर्ज किए गए थे. यदि पूरे राज्य के आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा बहुत बड़ा होगा.’

नारजारी का कहना है कि महामारी और लॉकडाउन के कारण 2020 के दौरान काम के लिए राज्य से बाहर गए हजारों लोगों की वापसी, महामारी के कारण स्कूल बंद होना और बोर्ड परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों को समायोजित करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में पर्याप्त सीटों की कमी..आदि अवैध व्यापार में वृद्धि के कुछ कारण हो सकते हैं.

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