भारत में अब सिर्फ कारों की नहीं, बल्कि ट्रकों और भारी वाहनों की भी सुरक्षा जांच होगी। केंद्र सरकार जल्द ही भारत NCAP की तर्ज़ पर एक नया सुरक्षा रेटिंग सिस्टम लॉन्च करने जा रही है, जो ट्रकों और भारी कमर्शियल वाहनों की संरचना और सुरक्षा मानकों का मूल्यांकन करेगा। इसका उद्देश्य सड़क सुरक्षा को मज़बूती देना और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में गुणवत्ता को प्रोत्साहित करना है।
इस अहम पहल की घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यशाला के दौरान की, जिसे ग्लोबल NCAP और रोड ट्रैफिक एजुकेशन संस्थान (IRTE) ने मिलकर आयोजित किया था। गडकरी ने बताया कि यह रेटिंग सिस्टम निर्माताओं को बेहतर गुणवत्ता और सुरक्षित वाहन तैयार करने के लिए प्रेरित करेगा। गडकरी ने यह भी बताया कि इलेक्ट्रिक रिक्शा जैसे बैटरी से चलने वाले हल्के वाहनों के लिए भी सुरक्षा मानकों पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा, “ई-रिक्शा की सुरक्षा सुधारने से उत्पादों की गुणवत्ता तो बढ़ेगी ही, साथ ही रोज़गार के अवसरों में भी इज़ाफा होगा।”
सड़क दुर्घटनाओं के भयावह आंकड़ों की ओर इशारा करते हुए गडकरी ने बताया कि हर साल भारत में लगभग 4.8 लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें करीब 1.8 लाख लोगों की जान चली जाती है। इस दिशा में सरकार का प्रमुख फोकस सड़क सुरक्षा, उच्च गुणवत्ता वाले वाहन और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर सुनिश्चित करना है।
ट्रक चालकों की चुनौतियों को संबोधित करते हुए उन्होंने खुलासा किया कि उनके काम के घंटों को रेगुलेट करने के लिए एक नया कानून तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “फिलहाल ट्रक ड्राइवर दिन में 13–14 घंटे तक काम करते हैं, जो बहुत कठिन और अस्वस्थ है।” इसके साथ ही पूरे देश में 32 आधुनिक ड्राइविंग ट्रेनिंग संस्थानों की स्थापना का भी प्लान है और ट्रकों की ड्राइवर केबिन में एसी अनिवार्य कर दिया गया है।
लंबी अवधि की सुरक्षा नीति के तहत स्कूली पाठ्यक्रमों में कक्षा 1 से 12 तक ‘सड़क सुरक्षा शिक्षा’ जोड़ी जा चुकी है। इसके साथ ही मशहूर गायक शंकर महादेवन द्वारा तैयार किया गया एक ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा गीत’ 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर देशभर में जागरूकता बढ़ाने के लिए पेश किया जाएगा।
ग्लोबल NCAP के प्रेसिडेंट एमेरिटस डेविड वार्ड ने भारत की इस दिशा में हो रही प्रगति की सराहना करते हुए कहा, “अब जब अधिक वाहन GNCAP और BNCAP के टेस्ट में शामिल हो रहे हैं, तो उपभोक्ताओं को सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हो रहे हैं। यह संयुक्त राष्ट्र के 2030 रोड सेफ्टी लक्ष्य की दिशा में बड़ा कदम है।”