देश में जल्द महंगा हो सकता है UPI से पेमेंट करना, जानिए क्या है RBI की तैयारी

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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति को पेश किया. शक्तिकांत दास ने बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए ब्याज दरों को स्थिर रखने का ऐलान किया. रेपो रेट 4 फीसदी पर, रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है. MPC ने अपना अकोमोडिटिव रुख बरकरार रखा है.

आपको बता दें कि पिछले साल (साल 2020) मार्च में RBI ने रेपो रेट में 0.75 फीसदी और मई में 0.40 फीसदी की कटौती की थी. इन कटौतियों के बाद रेपो रेट 4 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया था.

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने यहां डिजिटल पेमेंट को लेकर एक बड़ी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल भुगतान पर शुल्क वसूलने के लिए एक चर्चा पत्र जारी करेगा. इससे साफ जाहिर होता है कि आने वाले समय में हम सभी को डिजिटल पेमेंट की एवज में शुल्क के रूप में अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है. गवर्नर ने कहा कि आरबीआई, यूपीआई आधारित फीचर फोन उत्पाद लॉन्च करने की तैयारी में भी लगा हुआ है.

साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भारत में तेजी से डिजिटल पेमेंट बढ़ा. कोरोना वायरस महामारी के दौरान देश में डिजिटल पेमेंट का ग्राफ काफी ऊपर जा पहुंचा. लोगों ने संक्रमण से बचने के प्रयास में डिजिटल पेमेंट पर ही भरोसा जताया. लिहाजा, भारत में हो रहे डिजिटल पेमेंट की रफ्तार में लगातार बढ़ोतरी ही होती जा रही है.

यूपीआई जिसे हम अंग्रेजी में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस कहते हैं, यह एक डिजिटल पेमेंट का तरीका है जो मोबाइल ऐप के जरिये काम करता है. इस ऐप के जरिये सुरक्षित तरीके से पेमेंट कर सकते हैं. अगर पैसा फंस भी जाए तो बैंक खाते में रिफंड हो जाता है. यूपीआई के जरिये हर तरह के बिलों का भुगतान, ऑनलाइन फंड ट्रांसफर और रिश्तेदार या दोस्तों को पैसे भी भेज सकते हैं. इसके लिए आपको अपने मोबाइल फोन में ऐप डाउनलोड करना होगा और मोबाइल नंबर बैंक खाते से लिंक होना चाहिए.

ए‍क रिपोर्ट के मुताबिक गूगल पे, पेटीएम, फोन-पे और भीम एप जैसे दूसरे यूपीआई प्‍लेटफॉर्म पर हर महीने करीब 1.22 बिलियन यानी करीब 122 करोड़ तक का लेनदेन होने लगा है. वहीं अगर साल 2016 यानी 5 साल पहले की स्थिति की तुलना करें तो अब इसमें 550% की बढ़ोतरी हुई है. 2016-17 में 1,004 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन होते थे. ये आंकड़ा 2020-2021 में 5,554 करोड़ पर पहुंच गया है. 2021 के अप्रैल-मई महीने में डिजिटल ट्रांजैक्शन 2020 की तुलना में 100% से ज्यादा बढ़े हैं.

 

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