क्‍या रजिस्‍ट्री कराते ही आपकी हो जाती है प्रॉपर्टी? दूर कर लें गलतफहमी, नहीं तो पैसा-प्रॉपर्टी दोनों से जाएंगे

0 145

नई दिल्‍ली. भारत में किसी भी तरह से हुए जमीन के हस्‍तांतरण का रजिस्‍ट्रेशन कराना अनिवार्य है. भारतीय रजिस्‍ट्रेशन एक्‍ट में यह प्रावधान है कि 100 रुपये मूल्‍य से ज्‍यादा की किसी भी तरह की संपत्ति का अगर किसी भी तरह से ट्रांसफर होता है, तो ऐसा हस्‍तांतरण लिखित में होगा और उसको संबंधित सब-रजिस्‍ट्रार कार्यालय में रजिस्‍टर्ड कराना अनिवार्य है. इसलिए मकान, दुकान, प्‍लॉट या खेत खरीदने पर उसकी रजिस्‍ट्री कराई जाती है. लेकिन, आपको यह पता होना चाहिए कि जमीन की रजिस्‍ट्री कराने भर से ही इस पर आपको पूरे कानूनी अधिकार नहीं मिल जाते हैं.

यही कारण है कि आए दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं कि किसी प्रॉपर्टी को किसी व्‍यक्ति ने दो बार बेच दिया. या फिर विक्रेता ने बेची गई संपत्ति की रजिस्‍ट्री क्रेता के नाम कराने के बाद भी जमीन पर लोन ले लिया. ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि जमीन खरीदने वाले ने केवल रजिस्‍ट्री कराई होती है, उसने प्रॉपर्टी का नामांतरण अपने नाम नहीं कराया होता है.

आपको यह बात अच्‍छी तरह समझ लेनी चाहिए कि केवल रजिस्‍ट्री कराने से ही आप जमीन के पूरे मालिक नहीं बन जाते हैं. न ही आपके पास उस प्रॉपर्टी के पूरे अधिकार आ जाते हैं. रजिस्‍ट्री केवल ऑनरशिप के ट्रांसफर का डॉक्‍यूमेंट है, स्‍वामित्‍व का नहीं. रजिस्‍ट्री कराने के बाद जब आप उस रजिस्‍ट्री के आधार पर नामांतरण (Mutation) करा लेते हैं. नामांतरण को दाखिल-खारिज भी कहते हैं. इसलिए कभी भी अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो केवल रजिस्‍ट्री कराकर ही निश्चिंत न हो जाएं. उसकी तय समय में म्‍यूटेशन जरूर कराएं, ताकि आप पूर्ण रूप से उस संपत्ति के मालिक बन सकें.

रजिस्‍ट्री के बाद जब नामांतरण या दाखिल खारिज हो जाता है, तभी प्रॉपर्टी खरीदने वाला उसका सही में मालिक बनता है और संपत्ति से जुड़े सभी अधिकार उसके पास आ जाते हैं. दाखिल खारिज में दाखिल का मतलब है कि रजिस्‍ट्री के आधार पर उस संपत्ति के स्‍वामित्‍व के सरकारी रिकार्ड में आपका नाम शामिल हो जाता है. खारिज का मतलब है कि पुराने मालिक का नाम स्‍वामित्‍व के रिकार्ड से हटा दिया गया है.

यहां गौर करने वाली बात यह है कि दाखिल-खारिज करने के नियम और समय अलग-अलग राज्‍यों में भिन्‍न-भिन्‍न हैं. हरियाणा में रजिस्‍ट्री होते ही ही दाखिल-खारिज का आवेदन लगाना होता है. हरियाणा में इसे इंतकाल कहते हैं. वहीं, कुछ राज्‍यों में दाखिल-खारिज रजिस्‍ट्री होने के 45 दिनों बाद तक कराया जाता है.

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.