श्रीलंका बनने वाला है पाकिस्तान, विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म, कटोरा लेकर सऊदी पहुंचे आर्मी चीफ

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पाकिस्तान: पाकिस्तान बहुत जल्द श्रीलंका बनने वाला है और देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब करीब खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा है, कि देश के पास अब इतना पैसा नहीं है, कि वो तेल का आयात कर सके। इन सबके बीच महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वहीं, देश की आपात स्थिति के बीच पाकिस्तान के आर्मी चीफ कटोरा लेकर सऊदी अरब पहुंचे हैं और पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरे के दौरान पाकिस्तान को उम्मीद है, कि उसे सऊदी अरब से एक बार और रेस्क्यू किया जाएगा।

सऊदी पहुंचे पाक आर्मी चीफ अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख ने खाड़ी देशों की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर रक्षा मंत्री सहित शीर्ष सऊदी अधिकारियों के साथ मुलाकात की है। अलजजीरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ उस वक्त सऊदी अरब पहुंचे हैं, जब देश अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और डिफॉल्ट होने की स्थिति में पहुंच चुका है। अलजजीरा के मुताबिक, पाकिस्तान के नये आर्मी चीफ जनरल सैयद आसिम मुनीर, जिन्होंने नवंबर में पदभार संभाला था, वो अपने पूर्ववर्तियों के नक्शेकदम पर चलते हुए सऊदी अरब का दौरा पहुंचे हैं। अलजजीरा ने कहा है, कि उनका दौरा खास तौर पर आर्थिक सहयोग को लेकर है और सऊदी अरब का दौरा खत्म करने के बाद वो संयुक्त अरब अमीरात भी जाएंगे।

पाकिस्तान के लिए खैरात की मांग पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने कहा कि, “आर्मी चीफ आपसी हित, सैन्य-से-सैन्य सहयोग और सुरक्षा से संबंधित विषयों पर ध्यान केंद्रित करने वाले द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने के लिए दोनों भाई देशों के वरिष्ठ नेतृत्व से मिलेंगे।” वहीं, सऊदी प्रेस एजेंसी ने कहा है, कि जनरल मुनीर ने गुरुवार को राजधानी रियाद में सऊदी रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ के साथ सैन्य सहयोग पर चर्चा की। प्रिंस खालिद बिन सलमान ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “हमने अपने भाई देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया, द्विपक्षीय सैन्य और रक्षा संबंधों की समीक्षा की और हमारे सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।” पाकिस्तान में भीषण आर्थिक संकट जनरल आसिम मुनीर की वर्तमान यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। अलजजीरा के मुताबिक, पाकिस्तान का विदेशी भंडार 6 अरब डॉलर से भी कम हो गया है, जो अप्रैल 2014 के बाद से सबसे कम है और पाकिस्तान के पास अब सिर्फ एक महीने की ही खरीददारी करने का पैसा बचा है।

इसके साथ ही पाकिस्तान में मुद्रास्फीति आसमान छू रही है, जबकि देश पिछले साल की भयावह बाढ़ के बाद भी निपट रहा है, जिसकी वजह से करीब 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। इस हफ्ते की शुरुआत में, पाकिस्तानी वित्त मंत्री इशाक डार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उम्मीद जताई थी, कि सऊदी अरब पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को कुछ राहत प्रदान करने के लिए केंद्रीय बैंक में कुछ पैसे जमा करेगा। डिफॉल्ट हो सकता है पाकिस्तान अलजजीरा के मुताबिक, अगर पाकिस्तान को डिफॉल्ट होने से बचना है और अगर उसे विदेशी मुद्रा भंडार को खाली होने से बचाना है, तो पाकिस्तान को हर हाल में सऊदी अरब से वित्तीय मदद चाहिए। इससे पहले पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी नवंबर 2021 में आनन-फानन सऊदी अरब की यात्रा की थी और उस वक्त सऊदी अरब ने पाकिस्तान की झोली में 3 अरब डॉलर जमा किए थे, जिससे वो डिफॉल्ट होने से बचा था। वहीं, पिछले साल अप्रैल में पदभार ग्रहण करने के बाद से, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आर्थिक सहायता और निवेश प्राप्त करने के लिए कई खाड़ी देशों की यात्रा की है। पिछले साल अप्रैल से नवंबर के बीच आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सऊदी अरब ने 90 करोड़ डॉलर से ज्यादा की सहायता और 50 करोड़ डॉलर तेल खरीदने के लिए पाकिस्तान को दिए हैं।

वहीं, कतर ने पिछले साल अगस्त में शरीफ की दोहा यात्रा के दौरान 3 अरब डॉलर निवेश करने का वादा किया था, लेकिन कतर ने अभी तक कोई निवेश नहीं किया है। क्या सऊदी अरब फिर मदद करेगा? इस्लामाबाद स्थित विश्लेषक मोहम्मद फैसल का मानना है, कि जनरल आसिम मुनीर की सऊदी यात्रा को अर्थव्यवस्था के चश्मे से ही देखा जाना चाहिए, क्योंकि उनकी सऊदी यात्रा “विशेष रूप से कमजोर वित्तीय स्थिति” के समय हो रही है। अलजजीरा से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, “पाकिस्तानी नेतृत्व डिफॉल्ट को टालने के लिए घटते विदेशी भंडार को बचाने के लिए सऊदी रॉयल्स की तरफ देख रहा है। इस्लामाबाद के लिए, यात्रा का एक महत्वपूर्ण परिणाम वित्तीय सहायता की सऊदी घोषणा होगी।” पाकिस्तान अगस्त में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 1.17 अरब डॉलर का ऋण हासिल करने में कामयाब रहा था, लेकिन 1.18 अरब डॉलर के ऋण की अगली किश्त में देरी हो रही है। इस्लामाबाद अभी भी अगले किश्त के लिए आईएमएफ के साथ बातचीत कर रहा है। पिछले साल सितंबर में, पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने इस्तीफा दे दिया था, जबकि सरकार ईंधन पर शुल्क बढ़ाने सहित आईएमएफ की शर्तों को मानने को तैयार नहीं दिख रही थी।

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