ट्रेन में सफर करने वाले ध्यान दें… यूं ही नहीं लिखे होते डिब्बों पर SL, 1A, 2A समेत ये कोड्स

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भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन कहा जाता है. हम में से लगभग हर किसी ने ट्रेन की यात्रा एक बार जरूर की होगी. क्या आपने ट्रेन की यात्रा के दौरान कभी ध्यान दिया है कि अलग-अलग कोच पर अलग-अलग कोड लिखे होते हैं? क्या आप इन कोड्स का मतलब जानते हैं?

SL, 1A, 2A, 3A, 2S और CC आमतौर पर रेलवे में इस्तेमाल की जाने वाली केटेगरी हैं. इनके अलग-अलग मायने होते हैं. ये कोड्स दरअसल ट्रेन के अलग-अलग क्लास को दर्शाते हैं.

SL: इसका मतलब होता है स्लीपर क्लास. इस वर्ग में ज्यादातर लोग यात्रा करते हैं. स्लीपर क्लास में 72 से 78 सीटें होती हैं और सीट कॉन्फ़िगरेशन 3 + 3 + 2 जैसा होता है. इसका मतलब है कि डिब्बे के दोनों ओर तीन सीटें हैं और डिब्बे के गलियारे की तरफ दो सीटें हैं.

1A: इसका मतलब होता है कि फर्स्ट क्लास एसी. इसे शताब्दी एक्सप्रेस में एग्जीक्यूटिव क्लास या ईसी के नाम से भी जाना जाता है. अगर आप 1 ए में सीट बुक कर रहे हैं तो यात्रा शुरू होने से पहले टीटीई आपको सीटें देगा. इस कोच में सीटें काफी आरामदायक होती हैं. यहां तक कि इस कोच में खाना भी काफी वैरायटी में मिलता है.

2A: इसका मतलब होता है सेकेंड क्लास एसी. इसके कोच में दोनों तरफ दो-दो सीटे होती हैं. वहीं, गलियारे की तरफ भी दो-दो सीटें होती हैं. इसे AC 2 Tier के नाम से भी जाना जाता है.

3A: इसका मतलब होता है थर्ड एसी. स्लीपर क्लास में जो AC कोच होते हैं उसमें 3A लिखा होता है. यहां सीटों की संख्या कोच के हिसाब से बदलती रहती है, जहां एक बोगी में न्यूनतम सीटें 64 और अधिकतम 72 सीटें हो सकती हैं

2S: इसका मतलब होता है सेकेंड सीटिंग. ये सिटिंग क्लास में उपलब्ध सबसे सस्ती टिकट है. इसमें रो में 6 सीटें होती हैं. सीटें एक-दूसरे के आमने-सामने रहती हैं. 2एस में सीटों की कुल संख्या 108 सीट प्रति बोगी होती हैं.

CC: इसका मतलब होता है AC चेयर कार. यहां बैठने की व्यवस्था 2 + 3 है, जो कि हैं आरामदायक होती हैं. लेकिन लंबी यात्रा में आपको इसमें टिकट बुक करने से बचना चाहिए.

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