राम के वचनों, विचारों और शासन से बने मूल्य ‘सबका साथ, सबका विकास’ की प्रेरणा हैं: पीएम मोदी

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अयोध्या (उत्तर प्रदेश). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम के आदर्शों को विकसित भारत की आकांक्षा की पूर्ति के लिए प्रकाश स्तंभ करार देते हुए रविवार को कहा कि राम के वचनों, विचारों और शासन ने जिन मूल्यों को गढ़ा है वह ‘सबका साथ, सबका विकास’ की प्रेरणा है। प्रधानमंत्री ने अयोध्या में भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम के अवसर पर अपने संबोधन में कहा “इस बार दीपावली एक ऐसे समय में आई है जब हमने कुछ समय पहले ही आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस अमृत काल में भगवान राम जैसी संकल्प शक्ति देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।”

मोदी ने कहा “अगले 25 वर्षों में विकसित भारत की आकांक्षा लिए आगे बढ़ रहे हिंदुस्तानियों के लिए श्री राम के आदर्श उस प्रकाश स्तंभ की तरह हैं जो हमें कठिन से कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का हौसला देंगे।” उन्होंने कहा “भगवान राम ने अपने वचनों, अपने विचारों और अपने शासन में जिन मूल्यों को गढ़ा है, वे ‘सबका साथ, सबका विकास’ की प्रेरणा हैं और ‘सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का आधार भी हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा “संयोग देखिए। हमारे संविधान की मूल प्रति पर भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण जी का चित्र अंकित है। संविधान का वह पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है। यानी हमारे संवैधानिक अधिकारों की एक और गारंटी। साथ ही प्रभु राम के रूप में कर्तव्यों का शाश्वत सांस्कृतिक बोध भी, इसलिए हम जितना कर्तव्यों के संकल्प को मजबूत करेंगे राम जैसे राज्य की संकल्पना उतनी ही साकार होती जाएगी।”

मोदी ने किसी का नाम लिए बगैर कहा “एक समय था जब राम के बारे में हमारी संस्कृति और सभ्यता के बारे में बात करने तक से बचा जाता था। इसी देश में राम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाए जाते थे। उसका परिणाम क्या हुआ, हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक स्थान और नगर पीछे छूटते चले गए।”

उन्होंने कहा, ‘‘हम यहीं अयोध्या के राम घाट पर आते थे तो दुर्दशा देखकर मन दुखी हो जाता था। काशी की तंग और गंदगी भरी वह गलियां परेशान कर देती थी जिन स्थानों को हम अपनी पहचान का अपने अस्तित्व का प्रतीक मानते थे जब वही बदहाल थे तो देश के उत्थान का मनोबल अपने आप टूट जाता था।” उन्होंने अपनी सरकार द्वारा आध्यात्मिक विरासत को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा “पिछले आठ वर्षों में देश ने हीन भावना की इन बेड़ियों को तोड़ा है। हमने भारत के तीर्थों के विकास की एक समग्र सोच को सामने रखा है। हमने राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम से लेकर केदारनाथ और महाकाल महालोक तक घनघोर उपेक्षा के शिकार हमारे आस्था के स्थानों के गौरव को पुनर्जीवित किया है। एक समग्र प्रयास कैसे समग्र विकास का जरिया बन जाता है, आज देश इसका साक्षी है।”

मोदी ने कहा कि आज अयोध्या के विकास के लिए हजारों करोड़ रुपए की नई योजनाएं शुरू की गई हैं। सड़कों का विकास हो रहा है। चौराहों और घाटों का सौंदर्यीकरण हो रहा है। अयोध्या का विकास नए आयाम छू रहा है। अयोध्या रेलवे स्टेशन के साथ-साथ विश्वस्तरीय हवाई अड्डे का भी निर्माण किया जाएगा। यानी कनेक्टिविटी और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का लाभ इस पूरे क्षेत्र को मिलेगा। अयोध्या के विकास के साथ-साथ रामायण सर्किट के विकास पर भी काम चल रहा है। यानी अयोध्या से जो विकास अभियान शुरू हुआ उसका विस्तार आसपास के पूरे क्षेत्र में होगा।

प्रधानमंत्री ने देशवासियों का पंच प्राणों को आत्मसात करने का आह्वान दोहराते हुए कहा “इन पंच प्राणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी हुई है, वह है भारत के नागरिकों का कर्तव्य। आज अयोध्या नगरी में दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है। श्री राम से जितना सीख सकें सीखना है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं, मर्यादा मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी सिखाती है और मर्यादा जिस बोध की आग्रही होती है वह बोध कर्तव्य ही है।”

उन्होंने कहा “हमारे धर्म शास्त्रों में भी कहा गया है। राम साक्षात धर्म के यानी कर्तव्य के सजीव स्वरूप हैं। भगवान राम जब जिस भूमिका में रहे उन्होंने कर्तव्यों पर सबसे ज्यादा बल दिया। वह जब राजकुमार थे तब ऋषियों की, उनके आश्रमों और गुरुकुलों की सुरक्षा का कर्तव्य निभाया। राज्याभिषेक के समय श्री राम ने एक आज्ञाकारी बेटे का कर्तव्य निभाया।”

मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने पिता और परिवार के वचनों को प्राथमिकता देते हुए राज्य के त्याग को और वन जाने को अपना कर्तव्य मान कर स्वीकार किया। राम कर्तव्य भावना से मुख नहीं मोड़ते इसलिए राम भारत की उस भावना के प्रतीक हैं जो मानती हैं कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों से स्वयं सिद्ध हो जाते हैं इसलिए हमें कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा, ‘‘श्री राम लला के दर्शन और उसके बाद राजाराम का अभिषेक यह सौभाग्य राम जी की कृपा से ही मिलता है। जब श्री राम का अभिषेक होता है तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श और मूल्य और भी ज्यादा दृढ़ हो जाते हैं। राम के अभिषेक के साथ ही उनका दिखाया पथ और प्रदीप्त हो उठता है। अयोध्या के कण-कण में उनका दर्शन समाहित है।”

उन्होंने कहा, “आज अयोध्या की रामलीलाओं के माध्यम से, सरयू आरती के माध्यम से, दीपोत्सव के माध्यम से और रामायण पर शोध और अनुसंधान के माध्यम से यह दर्शन पूरे विश्व में प्रसारित हो रहा है। मुझे खुशी है कि अयोध्या के लोग पूरे उत्तर प्रदेश और देश के लोगों को इस प्रवाह का हिस्सा बन रहे हैं। देश में जन कल्याण की धारा को गति दे रहे हैं। मैं इस अवसर पर आपको देशवासियों को और विश्व भर में फैले हुए राम भक्तों को भी हार्दिक बधाई देता हूं।”

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने राम की पैड़ी पर भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम में शिरकत की। मोदी पहली बार कार्यक्रम का हिस्सा बने। इस बार 18 लाख से अधिक दीप जलाए गए हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आज अयोध्या दीपों से, दिव्य भावनाओं से भव्य हैं। आज अयोध्या नगरी भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है।

उन्होंने कहा कि जब 14 वर्ष के वनवास के बाद प्रभु श्री राम अयोध्या वापस आए होंगे तो अयोध्या कैसे सजी-संवरी होगी। हमने त्रेता युग की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए लेकिन प्रभु राम के आशीर्वाद से आज अमृत काल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के हम साक्षी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राम ने रावण के अत्याचार का अंत हजारों वर्ष पूर्व किया था लेकिन आज हजारों हजारों साल बाद भी उस घटना का एक-एक मानवीय संदेश अध्यात्मिक संदेश एक-एक दीपक के रूप में सतत प्रकाशित होता है। दीपावली के दीपक हमारे लिए केवल एक वस्तु नहीं है। यह भारत के आदर्शों मूल्यों और दर्शन के जीवंत ऊर्जा पुंज हैं।

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