ट्रैफिक पुलिस को ‘धमकाने’ वाले टैक्सी ड्राइवर को कोर्ट ने किया बरी, जानिए पूरा मामला

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मुंबई: मुंबई शहर की सत्र अदालत ने एक टैक्सी ड्राइवर को रिहा कर दिया है। उसे 2015 में ट्रैफिक पुलिस कर्मियों ने ‘नो एंट्री’ रोड पर एंट्री करने पर रोक लिया था, जिसके पश्चात् वो ‘जो उखाड़ना है, उखाड़ लो’ चिल्लाकर भाग गया था। इस मामले में टैक्सी चालक पर स्वेच्छा से चोट पहुंचाने एवं यातायात पुलिस कर्मियों को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था।

वही इस सिलसिले में महिला पुलिस नाइक सेजल मालवंकर ने दर्ज कराया था। वो रेलवे पुलिस की ट्रैफिक ब्रांच से जुड़ी हुई थी तथा 4 मई, 2015 को मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन टर्मिनल पर ड्यूटी पर थी। कार ‘नो एंट्री’ रोड में घुस गई। मालवंकर ने टैक्सी चालक को झंडी दिखाकर उसका ड्राइविंग लाइसेंस मांगा। चालक ने कोई भी दस्तावेज देने से मना कर दिया। जब मालवंकर ने दबाव डाला तो उसने बोला- ‘जो उखाड़ने का है, वो उखाड़ लो’ और लाइसेंस फेंककर भाग गया था। तत्पश्चात, मालवंकर थाने पहुंची और रिपोर्ट दर्ज कराई। लाइसेंस के आधार पर अपराधी की तलाश कर गिरफ्तार किया गया। चूंकि उसके आचरण ने एक लोक सेवक के काम में बाधा डाली थी। ऐसे में जांच पूरी होने के पश्चात् आरोप पत्र दायर किया गया। मौके पर उपस्थित IRCTC के ड्राइवर, एक पुलिस हवलदार एवं थाने के थाना प्रभारी ने भी घटनाक्रम के बारे में बताया था।

हालांकि, मुंबई के सत्र न्यायाधीश यूएम पडवाड ने सबूतों को देखने के पश्चात् कहा, अपराधी ने नो एंट्री जोन में प्रवेश किया, मालवंकर ने वाहन के लाइसेंस और दस्तावेजों की मांग की। अपराधी ने देने से मना कर दिया। बाद में उसने लाइसेंस फेंक दिया एवं अपनी कार से भाग गया। इस पूरे साक्ष्य में यह दिखाने के लिए बिल्कुल भी कुछ नहीं है कि अभियुक्त के इस प्रकार के कृत्य से मालवंकर को एक लोक सेवक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में कोई बाधा उत्पन्न हुई तथा ना उसे अपने कर्तव्य को जारी रखने से रोकने के लिए पर्याप्त कहा जा सकता है। आगे जज ने कहा कि मालवंकर अपनी ड्यूटी करती रहीं तथा अपराधी ने इसमें बिल्कुल भी बाधा नहीं डाली। इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 353 में परिभाषित हमला या आपराधिक बल या उस नौकर को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के इरादे से किया गया कार्य अनुपस्थित है। अभियुक्त का पूरा कृत्य मालवंकर के प्रति उसकी अवज्ञा या अनादर को दर्शाता है, मगर उस कृत्य का यह अर्थ नहीं माना जा सकता कि उसने मालवंकर पर किसी बल का प्रयोग किया या उसे कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने की मंशा से कार्य किया।

जज ने कहा कि चूंकि टैक्सी चालक से अपेक्षा की गई थी कि वो वाहन के लाइसेंस एवं दस्तावेजों को दिखाने के लिए मालवंकर की मांग का पालन करे, मगर ऐसा करने से इनकार करना धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को बर्खास्तगी से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत अपराध नहीं हो सकता है। जज ने यह भी कहा कि हालांकि मालवंकर ने इल्जाम लगाया कि अपराधी ने नो एंट्री में प्रवेश किया था, जाहिर तौर पर इस संबंध में उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई यह भी स्पष्ट नहीं है।

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