डायबिटीज और हाई बीपी क्यों हैं एक ही सिक्के के दो पहलू?

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हाई बीपी के 25% मरीजों को डायबिटीज की समस्या हो जाती है। तो, आपने यह भी गौर किया होगा कि जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी होती है उन्हें आगे चलकर हाई बीपी की समस्या का भी पता चलता है। दरअसल, यहां आपको समझना होगा कि यह दोनों ही खराब लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां हैं जिनमें हाई ब्लड प्रेशर के का कारण कई सारी समस्याएं हो सकती हैं।

हाई बीपी शुरू से ही हमारे मेटाबोलिज्म से जुड़ा हुआ है। इसे ऐसे समझें कि जब आपका मेटाबोलिज्म सही नहीं होता तो ये मोटापा और डिस्लिपिडेमिया जैसी समस्याओं का कारण बनता है। अक्सर ये इंसुलिन प्रतिरोध के मेटाबोलिज्म सिंड्रोम के हिस्से के रूप में मौजूद होता है और डायबिटीज का कारण बनता है। लगभग आधी मधुमेह आबादी हाई बीपी से ग्रस्त है और हाई बीपी वाले 25% लोगों को डायबिटीज है। ये खराब ग्लूकोज मेटाबोलिज्म के कारण होता। इसके अलावा, ये दोनों पैथोफिजिÞयोलॉजिकल रोग हैं जो कि एक दूसरे को प्रभावित करती हैं।

डायबिटीज में हाई ब्लड प्रेशर दिल का रोगी बना सकता है
डायबिटीज में हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग के पहले से बढ़े जोखिम को तिगुना कर देता है, कुल मृत्यु दर और स्ट्रोक के जोखिम को दोगुना कर देता है। डायबिटीज सभी हृदय संबंधी घटनाओं के 75% तक जिम्मेदार हो सकता है। नेफ्रोपैथी भी डायबिटीज और हाई बीपी का एक परिणाम है। 35-75% डायबिटीज की जटिलताओं के लिए हाई बीपी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

डायबिटीज में हाई बीपी से कैसे बचें
अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको हाई बीपी की समस्या से बचना होगा। या फिर इसे कंट्रोल करने की कोशिश करनी होगी। ऐसे में आप कुछ टिप्स की मदद ले सकते हैं। जैसे कि पहले तो स्ट्रेस कंट्रोल करें, हाई फैट वाले फूड्स से बचें, एक्सरसाइज करें और एक्टिव लाइफस्टाइल का पालन करें। इसके अलावा शुगर को मैनेज करने के लिए मीठी चीजों से परहेज करें, लो ग्लाइसेमिक फूड्स खाएं और अपना लाइफस्टाइल सही करें।

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