जेल में डालकर मुझे कष्ट पहुंचा सकते हो, हौसले नहीं तोड़ सकते, जेल से मनीष सिसोदिया का मिला संदेश

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नई दिल्ली : जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया के ट्विटर हैंडल से फिर ट्वीट हुआ है। उन्‍होने ट्वीट के माध्‍यम से तिहाड़ जेल से भेजे एक संदेश में कहा है कि कैद करके उन्हें कष्ट दिया जा सकता है, लेकिन उनके हौसले को नहीं तोड़ा जा सकता.

सिसोदिया के अकाउंट से ट्वीट किया हुआ है, ‘साहेब जेल में डालकर मुझे कष्ट पहुंचा सकते हो, मगर मेरे हौसले नहीं तोड़ सकते, कष्ट अंग्रेजो ने भी स्वतंत्रता सेनानियों को दिए, मगर उनके हौसले नहीं टूटे। – जेल से मनीष सिसोदिया का संदेश’।

मनीष सिसोदिया ने होली वाली शाम को भी अपने ट्विटर से एक ट्वीट किया था जिस पर भाजपा ने सवाल उठाया था कि आखिर सिसोदिया ने ट्वीट कैसे किया, क्या जेल में उनके पास मोबाइल है।

तिहाड़ जेल में बंद पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को देश के नाम खुला पत्र लिखा। भाजपा की केंद्र सरकार पर षड्यंत्र का आरोप लगाते हुए सिसोदिया ने लिखा कि भाजपा लोगों को जेल में डालने की राजनीति कर रही है। हम बच्चों को पढ़ाने की राजनीति कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का गुनाह इतना है कि प्रधानमंत्री के समक्ष वैकल्पिक राजनीति खड़ी कर दी, इसलिए केजरीवाल सरकार के दो मंत्री फिलहाल जेल में हैं। जेल की राजनीति भले ही सफल होते दिख रही है, लेकिन भारत का भविष्य स्कूल की राजनीति में है। अगर पूरे देश की राजनीति तन-मन-धन से शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने के काम में जुट गई होती तो देश में हर बच्चे के लिए विकसित देशों की तरह अच्छे स्कूल बन गए होते।

सिसोदिया ने पत्र में लिखा है कि जेल के अंदर से देख पा रहा हूं कि जब राजनीति में सफलता जेल चलाने से मिल जा रही है तो स्कूल चलाने की राजनीति की भला कोई जरूरत क्यों महसूस करेगा। सत्ता के खिलाफ उठने वाली आवाज को जेल भेजना बच्चों के लिए अच्छे स्कूल-कॉलेज खोलने से कहीं ज्यादा आसान है। एक बार शिक्षा की राजनीति राष्ट्रीय फलक पर आ गई तो जेल की राजनीति हाशिए पर ही नहीं, बल्कि जेल भी बंद होने लगेंगी।

सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को जेल भेजकर या जेल भेजने की धमकी देकर सत्ता चलाना, शानदार स्कूल-कॉलेज खोलने और चलाने से कहीं ज्यादा आसान है। उत्तर प्रदेश के हुक्मरानों को एक लोकगायिका का लोकगीत अपने खिलाफ लगा तो पुलिस का नोटिस भेजकर उसे जेल जाने की धमकी भिजवा दी। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री के बारे में एक शब्द कहने पर दो राज्यों की पुलिस ने उन्हें एक खूंखार अपराधी की तरह फिल्मी अंदाज में दबोच लिया।

सिसोदिया ने पत्र में लिखा है कि तस्वीर एकदम साफ दिख रही है। जेल की राजनीति सत्ता में बैठे नेता को और बड़ा व ताकतवर बना रही है। शिक्षा की राजनीति के साथ समस्या यही है कि यह नेता को नहीं देश को बड़ा बनाती है। जब शिक्षा लेकर देश के कमजोर से कमजोर परिवार का बच्चा भी मजबूत नागरिक बनता है तो देश ताकतवर बनता है। देश साफ-साफ देख रहा है कि कौन खुद को बड़ा बनाने की राजनीति कर रहा है और कौन देश को बड़ा बनाने की राजनीति कर रहा है।

सिसोदिया ने लिखा कि यह बात जरूर है कि शिक्षा की राजनीति आसान काम नहीं है। यह कम से कम राजनीतिक सफलता का शॉर्टकट तो बिल्कुल नहीं है। शिक्षा के लिए इतने बच्चों को माता-पिता को और विशेषकर शिक्षकों को प्रेरित करने का रास्ता लंबा है। जेल की राजनीति में तो जांच एजेंसी के चार अधिकारियों को दबाव में लेने भर से काम हो जाता है। शिक्षा की राजनीति में ऐसा नहीं हो सकता।

देश में शिक्षा की राजनीति के जरिये आ रहे बदलावों का जिक्र करते हुए सिसोदिया ने लिखा है कि जेल की राजनीति की इसी सुलभ सफलता ने राजनीति में शिक्षा को हाशिए पर ला दिया है। हालांकि शुभ संकेत यह है कि शिक्षा की राजनीति देश के वोटर के अंदर सुगबुगाहट ला रही है। दिल्ली के शिक्षा मॉडल से प्रभावित होकर पंजाब के वोटरों ने भी बेहतरीन शिक्षा, अच्छे सरकारी स्कूल और कॉलेज के लिए वोट दिया। इससे भी अच्छी बात यह है कि कई गैर भाजपा व गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों ने राजनीति से ऊपर उठकर एक दूसरे के अच्छे कार्यों से सीखने-समझने का सिलसिला शुरू कर दिया है। भाजपा शासित राज्यों में सरकारी स्कूल भले ही खराब हालत में हों फिर भी वहां के मुख्यमंत्री शिक्षा से जुड़े विज्ञापन करने के लिए मजबूर हुए हैं।

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