भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को मांग की कि केंद्र सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए एक कानून लाए। मुंबई में संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (Samyukta Shetkari Kamgar Morcha, SSKM) के बैनर तले आजाद मैदान में ‘किसान महापंचायत’ में टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब एमएसपी के समर्थक थे और किसानों के हितों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून चाहते थे। इसके साथ ही टिकैत ने 26 जनवरी दोहराने की धमकी दी।
टिकैट केंद्र सरकार पर एमएसपी के मुद्दे पर बहस से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को किसानों को एमएसपी की गारंटी देने के लिए एक कानून लाना चाहिए। कृषि और श्रम क्षेत्रों से जुड़े कई मुद्दे अभी अनछुए हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। हम इन मुद्दों को उजागर करने के लिए पूरे देश में यात्राएं करेंगे। टिकैत ने कृषि कानूनों के विरोध में एक साल तक चले आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दिए जाने की भी मांग की।
किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा। यह लंबा चलेगा। सरकार अभी बात करने की लाइन में नहीं आई है। इसमें अभी और कुर्बानियां होंगी। अब तक 700 लोगों की कुर्बानियां हो चुकी हैं। उन्होंने सरकार को धमकी देते हुए कहा कि आप हमारी मीटिंग रोकने की कोशिश करोगे तो हम भी आपकी मीटिंग रोकेंगे।
राकेश टिकैत के यही तेवर मंच के नीचे पत्रकारों से बातचीत के दौरान भी नजर आए। तीनों कृषि कानूनों की समाप्ति के बाद अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार अपना दिमाग ठीक कर ले, नहीं तो 26 जनवरी दूर नहीं है। चार लाख ट्रैक्टर तैयार हैं, और देश का किसान भी यहीं है।
बता दें कि इसी वर्ष 26 जनवरी को दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के बाद किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाली थी। इसके दौरान प्रदर्शनकारियों की आड़ लेकर बड़ी संख्या में उपद्रवी लाल किले में घुस गए थे। उनके द्वारा लाल किले पर फहरा रहे तिरंगे के अपमान किया गया था, और दिल्ली की सड़कों पर मनमाने तरीके से ट्रैक्टर दौड़ाए गए थे। इस हिंसा में ट्रैक्टर पलटने से एक व्यक्ति की जान भी गई थी।