अहमदाबाद विमान हादसा: ब्लैक बॉक्स भारत में ही होगा डिकोड, अमेरिका न भेजने पर सरकार ने दिया ये जवाब

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गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के बाद खबर आई थी कि विमान के ब्लैक बॉक्स अमेरिका भेजे जा रहे हैं। लेकिन अब नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने इसका खंडन किया और इसे गलत और भ्रामक बताया। मंत्रालय ने अपील करते हुए कहा कि ऐसी संवेदनशील जांच प्रक्रिया पर अटकलें न लगाएं और जांच को गंभीरता और पेशेवर तरीके से पूरा होने दें। एयर इंडिया का विमान AI-171 के गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून 2025 को क्रैश हो गया था। इस हादसे में फ्लाइट में सवार 241 और 33 अन्य लोगों की जान चली गई।

नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इसी साल अप्रैल में नई दिल्ली के उड़ान भवन स्थित विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) परिसर में डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) एनालिसिस लैब का उद्घाटन किया था। इस लैब को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से करीब 9 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है।

इस लैब का उद्देश्य दुर्घटनाग्रस्त ब्लैक बॉक्स की मरम्मत करना, डेटा निकालना और रडार, फ्लाइट परफॉर्मेंस और कॉकपिट रिकॉर्डिंग जैसे विभिन्न स्रोतों को मिलाकर दुर्घटना के कारणों की सटीक जांच करना है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार ICAO सदस्यता के तहत विकसित किया गया था।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दुर्घटनाग्रस्त एयर इंडिया फ्लाइट AI171 से जुड़ी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इसके ब्लैक बॉक्स (CVR और DFDR) को जांच के लिए विदेश भेजा जा रहा है। इस पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ब्लैक बॉक्स की जांच कहां और कैसे की जाएगी, इसका फैसला विमान हादसों की जांच करने वाली एजेंसी AAIB द्वारा तकनीकी, सुरक्षा और अन्य सभी जरूरी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।

कौन-कौन कर रहा विमान हादसे की जांच
आपको बता दें कि AI-171 हादसे की जांच 12 जून 2025 को शुरू हुई थी, जिसमें AAIB की टीम के साथ-साथ यूएस नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और विमान निर्माण कंपनियों (OEM) के विशेषज्ञ शामिल हैं। यह पूरी प्रक्रिया ICAO द्वारा निर्धारित अंतरराष्ट्रीय जांच प्रोटोकॉल के तहत की जा रही है।

एयर इंडिया का AI-171 विमान, जो बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था, में ब्लैक बॉक्स सिस्टम के दो सेट लगे थे, जिनमें से प्रत्येक में DFDR और CVR शामिल थे। पहला सेट 13 जून को मिला था और दूसरा 16 जून को मलबे से निकाला गया था।

इन ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल यह पता लगाने के लिए किया जाएगा कि विमान उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ही क्यों दुर्घटनाग्रस्त हो गया। DFDR उड़ान की गति, ऊंचाई और इंजन थ्रस्ट जैसे डेटा प्रदान करेगा, जबकि CVR पायलटों की बातचीत और कॉकपिट में अलर्ट रिकॉर्डिंग को सुनेगा। ICAO के नियमों के अनुसार, इस दुर्घटना पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर और एक साल के भीतर एक अंतिम विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी। जांच में संभावित पायलट त्रुटि, तकनीकी खराबी, मौसम संबंधी स्थिति और उड़ान से पहले की जाँच में चूक जैसे बिंदुओं को ध्यान में रखा जाएगा।

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