टेस्ला की भारत में एंट्री के लिए अमेरिका चाहता है जीरो टैरिफ

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नई दिल्ली : अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ वॉर गहराने के बीच अमेरिका की तरफ से रेसिप्रोकल टैरिफ की डिमांड तेज हो रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि 2 अप्रैल से अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करेगा यानी जो देश अमेरिकी सामानों पर जितनी इम्पोर्ट ड्यूटी लगाता है, US भी उस देश पर उतना ही टैरिफ लगाएगा.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका चाहता है कि भारत और US के बीच होने वाले व्यापार में कृषि उत्पादों को छोड़कर बाकी सभी सामानों पर जीरो टैरिफ किया जाए. हालांकि, अभी तक टैरिफ की पूरी रूपरेखा तय नहीं हुई है. लेकिन एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से ये दावा किया गया है. दरअसल, ट्रंप ने बार-बार भारत के ऊंचे टैरिफ की शिकायत की है और ये मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका के दौरे के दौरान भी उठा था.

अमेरिका चाहता है कि भारत ऑटोमोबाइल पर आयात शुल्क हटाए. ये मामला टेस्ला (Tesla) की भारत में संभावित एंट्री से पहले ज्यादा ही जोर पकड़ने लगा है. भारत में कारों पर 110% तक टैरिफ लगता है जिसका मतलब है कि टेस्ला की सबसे सस्ती 20 हजार डॉलर की इलेक्ट्रिक कार भी भारत में करीब दोगुने दाम पर मिलेगी. लेकिन अगर जीरो टैरिफ फॉर्मूला पर सहमति बनती है तो भारत में टेस्ला की कार 20 लाख रुपये से भी कम कीमत में मिलने लगेगी. यानी ज्यादा टैरिफ विदेशी ऑटोमेकर्स के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. जाहिर है टेस्ला जैसी कंपनियों को भारत में इस भारी भरकम इम्पोर्ट ड्यूटी के चलते एंट्री करने में सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है.

ट्रंप सरकार में एलन मस्क (Elon Musk) की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए भी ये समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है कि आखिर भारत में ऑटोमोबाइल्स के आयात पर लगने वाली ऊंची इम्पोर्ट ड्यूटी (Import Duty) इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में क्यों है? ट्रंप ने 4 मार्च को कांग्रेस में भारत के टैरिफ को ‘नाकाबिले बर्दाश्त’ बताया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी. भारत सरकार टैरिफ को एकदम खत्म करने को तैयार नहीं है. लेकिन धीरे-धीरे कटौती पर विचार कर रही है.

हालांकि कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariffs) का भारत पर कम असर होगा क्योंकि वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी काफी कम है. फिलहाल अमेरिका भारत पर जितना टैरिफ लगाता है उससे भारत का अमेरिका पर लगाया जाने वाला टैरिफ 6.5% ज़्यादा है. खासकर खाने-पीने की चीज़ों, जूतों, कपड़ों, गाड़ियों और रोज़मर्रा के सामानों पर ये अंतर बड़ा है. ICICI सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट कहती है कि ऊंचे टैरिफ से अमेरिकी ग्राहकों को सबसे ज़्यादा नुकसान होगा क्योंकि अमेरिका 3.3 ट्रिलियन डॉलर का सामान आयात करता है. अगर टैरिफ 5% बढ़ता है तो भारत के निर्यात पर 6-7 अरब डॉलर का असर पड़ सकता है. लेकिन अगर अमेरिका दूसरे देशों पर भारत से ज़्यादा टैरिफ लगाएगा तो भारत को फायदा भी हो सकता है.

भारत में हर साल करीब 40 लाख पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री होती है. टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियां टैरिफ हटाने के खिलाफ हैं. उनका कहना है कि इससे स्थानीय उत्पादन को नुकसान होगा और सस्ती विदेशी इलेक्ट्रिक गाड़ियां बाज़ार में छा जाएंगी. सरकार ने पिछले महीने ऑटोमेकर्स से बात करके टैरिफ को धीरे-धीरे कम करने पर सहमति दिखाई है लेकिन इसे एकदम हटाने से इनकार किया है.

दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाना चाहते हैं. पिछले महीने ट्रंप और मोदी की मुलाकात के बाद टैरिफ विवाद सुलझाने का फैसला हुआ था. फिलहाल भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका में बातचीत कर रहे हैं. इसमें इस साल दोनों देशों के बीच किए जाने वाला व्यापार समझौते पर भी बातचीत जारी है. इस बीच टेस्ला ने भारत में पहला शोरूम साइन कर लिया है और देश के अलग अलग शहरों में हायरिंग भी शुरु कर दी है. सरकार ने भी कुछ लग्ज़री गाड़ियों पर टैरिफ कम किया है. लेकिन बड़े बदलावों को होने में वक्त लगने का अनुमान है.

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