नई दिल्ली : दक्षिण कोरिया में इस समय भारी राजनीतिक अस्थिरता है. मार्शल लॉ को लेकर मचे घमासान के बीच देश के रक्षा मंत्री ने इस्तीफा दे दिया. उन्हें इस पूरे मार्शल लॉ आइडिया (idea) का मास्टमाइंड माना जा रहा था. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने बुधवार रात 11 बजे अचानक से देश को संबोधित कर मार्शल लॉ लगाने का ऐलान किया था. लेकिन विपक्ष के विरोध और आम जनता के हंगामे के बीच उन्हें इस फैसले को वापस लेना पड़ा. इससे पहले संसद में इस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव लाकर इसे गिरा दिया गया था. इस मामले में राष्ट्रपति यून सुक के कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि आज, राष्ट्रपति ने रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून का इस्तीफा मंजूर कर लिया. इसके साथ ही सऊदी अरब में राजदूत चोई ब्युंग-ह्यूक को नए रक्षा मंत्री के रूप में नामित किया गया है.
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून की पार्टी संसद में अल्पमत में है. संसद में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी का बोलबाला है. ऐसे में सत्तारूढ़ पीपुलस पावर पार्टी के हर फैसले को संसद में विपक्षी पार्टी पलट देती है. इससे सरकार और राष्ट्रपति के फैसलों को संसद में पलट दिया जाता है. इसके बाद देश के रक्षा मंत्री किम योंग हयून ने राष्ट्रपति से देश में मार्शल लॉ लगाने का सुझाव दिया. देश में मार्शल लॉ लगाने के सूत्रधार रक्षा मंत्री किम को ही माना गया. द कोरियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति देश के नाम संबोधन में मार्शल लॉ लगाने का ऐलान करेंगे, इसकी जानकारी प्रधानमंत्री हान डक सू को भी नहीं थी.
किम को राष्ट्रपति यून का भरोसेमंद और खास माना जाता है. उन्होंने प्रधानमंत्री हान को दरकिनार कर सीधे राष्ट्रपति से संपर्क कर मार्शल लॉ लगाने का सुझाव दिया. उनके इस सुझाव के बाद कोई कैबिनेट मीटिंग भी नहीं हुई, इससे पीएम और उनकी कैबिनेट मार्शल लॉ की जानकारी से महरूम रही. दक्षिण कोरिया की राजनीति में चंगम गुट का काफी महत्व है. रक्षा मंत्री किम और राष्ट्रपति यून इसी गुट से है. राजधानी सियोल में चंगम हाई स्कूल से ग्रेजुएट होने वाले लोग इस गुट का हिस्सा होते हैं.
दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगाने और फिर फैसले से यूटर्न के बाद राष्ट्रपति को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. राष्ट्रपति यून सुक योल के चीफ ऑफ स्टाफ सहित कैबिनेट के कई शीर्ष सहयोगियों ने इस्तीफा दे दिया है. कहा जा रहा है कि कैबिनेट के 12 मंत्री इस्तीफा सौंप चुके हैं. कई अन्य शीर्ष नेताओं ने भी इस्तीफे की पेशकश की है. मार्शल लॉ के फैसले का सिर्फ विरोधी ही नहीं बल्कि कैबिनेट के ही कई नेता भी विरोध कर रहे हैं. उनकी पार्टी पीपुल पावर पार्टी के बड़े नेता हान डोंग हून ने इस फैसले को गलत बताते हुए मुख्य विपक्षी नेता ली जे-म्यूंग से हाथ मिला लिए हैं.
सड़कों पर राष्ट्रपति के खिलाफ रैलियों निकाली जा रही हैं, जिसमें मांग की जा रही है कि उनके खिलाफ महाभियोग लाया जाए. उन पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं. राष्ट्रपति का ऐलान और फिर उस फैसले से यूटर्न उन पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. कहा जा रहा है कि संसद में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है. अगर नेशनल असेंबली में दो-तिहाई से ज्यादा सांसद इसके पक्ष में वोट करते हैं तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाया जा सकता है. बता दें कि नेशनल असेंबली में राष्ट्रपति की पीपुल पावर पार्टी के 300 में से 108 सांसद हैं.
अगर नेशनल असेंबली में दो-तिहाई से ज्यादा सांसद इसके पक्ष में वोट करते हैं तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाया जा सकता है. महाभियोग के प्रस्ताव को संवैधानिक कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा. यहां नौ में से कम से कम छह जज अगर इसे मंजूरी दे देते हैं तो आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस दौरान अंतिम फैसला आने तक राष्ट्रपति को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने की मनाही होगी. इस दौरान प्रधानमंत्री अंतरिम नेता के तौर पर कामकाज देखेंगे. महाभियोग होने के 60 दिनों के भीतर चुनाव कराने होंगे.
अमेरिका को दक्षिण कोरिया का माना जाता है. इस समय अमेरिका के लगभग 30,000 सैनिक दक्षिण कोरिया में तैनात हैं. ऐसे में इस पूरे घटनाक्रम पर अमेरिका ने कहा कि हमारी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर है. हम किसी भी स्थिति में मार्शल लॉ का समर्थन नहीं करते.