ऐसी रोटी, जिसे एक दो या तीन व्यक्ति नहीं पूरा परिवार खा सकता है, क्या आपने भी चखा है मांडा रोटी का स्वाद

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बुरहानपुर। मध्यप्रदेश की एतिहासिक नगरी बुरहानपुर की रूमाली मांडा रोटी इन दिनों पर्यटकों के बीच खासी लोकप्रिय हो रही है। मांडा रोटी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बुरहानपुर को नई पहचान दिलाई है। इस रोटी को बनाने की विधि देखने के लिए भी पर्यटक दुकानों पर जाते हैं। वास्तव में यह बड़े होटलों में मिलने वाली रूमाली रोटी जैसी ही होती है, लेकिन इसका वजन, आकार और बनाने का तरीका बिल्कुल अलग होता है।

इतिहासकार होशंग हवलदार बताते हैं कि मांडा रोटी की शुरूआत मुगलों के शासनकाल में हुई थी। शहर के साठ से ज्यादा परिवारों के करीब 500 सदस्यों का घर अब मांडा रोटी से ही चल रहा है। इतिहासकारों के मुताबिक 1601 में मुगल शासन आया तो उन्होंने बुरहानपुर को फौज की छावनी बना दिया। देशभर के मुगल सैनिक बुरहानपुर आते थे। ऐसे में कम समय में अधिक मात्रा में भोजन तैयार करना मुश्किल हो गया था। स्थानीय कारीगरों ने मुगल शासकों को कम समय में अधिक मात्रा में भोजन तैयार करने के लिए मांडा रोटी बनाने का सुझाव दिया। इस दौरान एक मांडा रोटी ढाई फीट व्यास की और करीब 500 ग्राम वजनी होती थी।

समय के साथ मांडा रोटी के आकार और वजन में परिवर्तन आया। जरूरत के हिसाब से इसका वजन घटाकर वर्तमान में 250 ग्राम के आसपास कर दिया गया है। बावजूद इसके यह दुनिया की सबसे बड़ी और स्वादिष्ट रोटी है। बुरहानपुर में हर वर्ग के लोग विशेष अवसरों अथवा पार्टी में इसका इस्तेमाल करते हैं। शहर के पुराने बस स्टैंड के पास मांडा रोटी बनाने वालों की दुकानें हैं। हालांकि इस काम में काफी मेहनत होने के कारण कारीगरों की नई पीढ़ी इसमें रुचि नहीं ले रही है। जिससे बीते कुछ सालों में कारीगरों की संख्या घटी है।

इतिहासकार मोहम्मद नौशाद बताते हैं कि मांडा तैयार करने के लिए आटे को मिक्स करने के लिए अब मिक्सर आ चुके हैं। पहले आटे को भी हाथ से से ही गूथा जाता था। मांडा बनाने वाले कारीगरों के अनुसार मांडा रोटी बनाने वाले कारीगर सिर्फ बुरहानपुर में ही पाए जाते हैं। मांडा बनाने यहीं से कारीगर अरब देशों, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों में जाते हैं। इसके अलावा मप्र, महाराष्ट्र, गुजरात आदि प्रदेशो में भी कारीगर विशेष मांग पर जाते हैं। बुरहानपुर के अलावा कहीं भी मांडा बनाने वाले कारीगर नहीं हैं। महाराष्ट्र व गुजरात के कई शहरों में मांडा रोटी बनाने वाले कई कारीगर स्थायी रूप से शिफ्ट हो गए हैं।

होटल उद्योग से जुड़े व पर्यटन के जानकारों के अनुसार जब भी देसी-विदेशी पर्यटक बुरहानपुर आते हैं तो उन्हें वे मांडा रोटी कैसे बनती है यह दिखाने के लिए ले जाना नहीं भूलते। छोटे आकार की रोटी खाने वाले सैलानी मांडाा रोटी देखकर बरबस इसके दीवाने हो जाते हैं और मांडा रोटी खरीद कर इसके स्वाद का मजा लेते हैं।

 

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